Vishwakarma Jayanti 2022: विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर दिन शनिवार को है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में विश्वकर्मा पूजा का पर्व मनाया जाएगा। पुराणों में विश्वकर्मा को यंत्रों का अधिष्ठाता देवता बताया गया है।
Vishwakarma Jayanti 2022: विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर, शनिवार को है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में विश्वकर्मा जयंती का पर्व मनाया जाएगा। पुराणों में विश्वकर्मा को यंत्रों का अधिष्ठाता देवता बताया गया है। इसलिए इस दिन यंत्रों का पूजन होता है। विश्वकर्मा जी द्वारा ही पृथ्वी पर मनुष्यों को सुख-सुविधाएं प्राप्त हुई हैं, उन्हीं के आशीर्वाद से अनेक यंत्रों व शक्ति संपन्न भौतिक साधनों के बारे में हमें पता चल पाया है। प्राचीन शास्त्रों में विमान विद्या, वास्तु शास्त्र का ज्ञान, यंत्र निर्माण विद्या आदि के बारे में जो भी जानकारी मिलती है, वो विश्वकर्मा द्वारा प्राप्त होती है।
विश्वकर्मा पुराण के अनुसार, आदि नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्माजी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की। भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। मान्यता है कि उन्होंने ब्रह्माजी के साथ मिलकर इस सृष्टि का निर्माण किया था। विश्वकर्मा पूजा के दिन विशेष तौर पर औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कारखानों आदि की पूजा की जाती है। इसके साथ ही साथ विश्वकर्मा जी को यंत्रों का देवता भी माना जाता है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्र भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाए थे, इसलिए इन्हें निर्माण का देवता कहा जाता है। शास्त्रों में ऐसा भी कहा गया है कि ब्रह्माजी के निर्देश पर ही विश्वकर्मा जी ने इंद्रपुरी, त्रेता में लंका, द्वापर में द्वारिका एवं हस्तिनापुर, कलयुग में जगन्नाथ पुरी आदि का निर्माण किया था। इसके अलावा श्रीहरि भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र, शिव जी का त्रिशूल, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज को भी भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया था।
पुष्पक विमान का निर्माण इनकी एक बहुत महत्वपूर्ण रचना रही है। सभी देवों के भवन और उनके उपयोग में आने वाली अस्त्र शस्त्रों का निर्माण भी विश्वकर्मा जी द्वारा होगी। कर्ण का कवच या कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र हो या फिर भगवान शिव का त्रिशूल हो, ये सभी चीजें भगवान विश्वकर्मा के निर्माण का प्रभाव है। यमराज का कालदण्ड हो या इंद्र के शस्त्र इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया है।
विश्वकर्मा पूजा विधि
विश्वकर्मा पूजा के दिन आफिस, दुकान, वर्कशॉप, फैक्ट्री चाहे छोटे संस्थान हों या बड़े सभी की साफ सफाई करनी चाहिए। साथ ही इस दिन सभी कर्मियों को भी अपने औजारों या सामान की पूजा करनी चाहिए। इसके पश्चात पूजा स्थान पर कलश स्थापना करनी चाहिए। भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए। इस दिन यज्ञ इत्यादि का भी आयोजन किया जाता है। पूजन में श्री विष्णु भगवान का ध्यान करना उत्तम माना गया है। इस दिन पुष्प, अक्षत लेकर मंत्र पढ़ें और चारों ओर अक्षत छिड़कें। इसके बाद हाथ में और सभी मशीनों पर रक्षासूत्र बांधें। फिर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हुए दीप जलाएं और पुष्प एवं सुपारी अर्पित करें।
इस प्रकार पूजन के बाद विविध प्रकार के औजारों और यंत्रों आदि की पूजा कर हवन यज्ञ करना चाहिए। फिर विधि विधान से इनकी पूजा करने पर पूजा के पश्चात भगवान विश्वकर्मा की आरती करें। भोग स्वरूप प्रसाद अर्पित करें, जिस भी स्थान पर पूजा कर रहे हों उस पूरे परिसर में आरती घुमाएं। पूजा के पश्चात विश्वकर्मा जी से अपने कार्यों में सफलता की कामना करें।
इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही व्यापार में तरक्की और उन्नति प्राप्त होती है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति में नई ऊर्जा का संचार होता है और व्यापार या निर्माण आदि जैसे कार्यों में आने वाली सभी समस्याएं और रुकावटें दूर होती हैं।
Source : https://www.amarujala.com/spirituality/religion/vishwakarma-puja-2022-date-shubh-muhurat-timings-history-and-significance-of-vishwakarma-jayanti